Volume : VII, Issue : II, February - 2018
Samanya Jan Jivan Me Paryavaran Ka Mahatv
Dr Smt Manju Tamrakar
Abstract :
भारतीय संस्कृति का विकास प्रकृति की गोद में , वनसंपदा से संपन्न तपोवनों एवं आश्रमों में हुआ , जहाँ भविष्य दृष्टा ऋषियों के मंत्रो से प्रतिदिन पर्यावरण की शुद्धि व शांति के लिए निरंतर स्वर गूँजते रहते थे | ओमद्यों शन्ति रन्तरिक्ष शांतिः पृथ्वी शान्ति राप शान्ति रो आकाश , पृथ्वी , जल , पौधे एवं जीव ही पर्यावरण का सृजन करते हैं , प्रकृति का यह समग्र रूप ही पर्यावरण के नाम से जाना जाता है | आनुवंशिकी एवं पर्यावरण के परिणाम हैं जीव जन्तु |
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DOI : https://www.doi.org/10.36106/gjra
Cite This Article:
Dr Smt Manju Tamrakar, Samanya Jan Jivan Me Paryavaran Ka Mahatv, GLOBAL JOURNAL FOR RESEARCH ANALYSIS : VOLUME-7, ISSUE-2, FEBRUARY-2018
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Dr Smt Manju Tamrakar, Samanya Jan Jivan Me Paryavaran Ka Mahatv, GLOBAL JOURNAL FOR RESEARCH ANALYSIS : VOLUME-7, ISSUE-2, FEBRUARY-2018